मार्जिन ट्रेडिंग क्या है? लिवरेज ट्रेडिंग करने की एक विस्तृत गाइड
मार्जिन ट्रेडिंग एक ऐसा तरीका है जो दुनिया भर के शेयर बाजारों में काफी चलन में आ गया है। इसमें निवेशक ब्रोकर से पैसे उधार लेकर शेयर खरीदते हैं। इससे वे ज्यादा शेयर खरीद सकते हैं और ज्यादा फायदा कमा सकते हैं। पर इसमें जोखिम भी ज्यादा होता है, जिसके बारे में सोचना जरूरी है।
इस आर्टिकल में हम मार्जिन ट्रेडिंग के बारे में विस्तार से बताएंगे – यह कैसे काम करता है, इसके फायदे क्या हैं, इसमें क्या खतरे हैं, और इसे करने के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए।
मार्जिन ट्रेडिंग क्या है ?
मार्जिन ट्रेडिंग का मतलब है ब्रोकर से पैसे उधार लेकर शेयर खरीदना। इस उधार के पैसे से निवेशक अपने पैसों से ज्यादा शेयर खरीद सकता है। निवेशक का अपना पैसा, जो उधार के लिए गारंटी के रूप में रखा जाता है, उसे “मार्जिन” कहते हैं।
मार्जिन ट्रेडिंग के मुख्य हिस्से हैं:
शुरुआती मार्जिन: मार्जिन अकाउंट खोलने के लिए निवेशक को जो न्यूनतम रकम जमा करनी पड़ती है।
रखरखाव मार्जिन: अकाउंट में जो न्यूनतम रकम हमेशा रहनी चाहिए ताकि शेयर बेचने न पड़ें।
मार्जिन कॉल: जब अकाउंट की वैल्यू रखरखाव मार्जिन से नीचे गिर जाती है, तो ब्रोकर अतिरिक्त पैसे मांगते हैं।
मार्जिन ट्रेडिंग कैसे काम करता है ?
एक उदाहरण से समझते हैं:
मान लीजिए एक निवेशक के पास 10,000 रुपये हैं और वह कंपनी XYZ के शेयर खरीदना चाहता है, जो 100 रुपये प्रति शेयर पर बिक रहे हैं। 50% मार्जिन की जरूरत के साथ, निवेशक अपने ब्रोकर से 10,000 रुपये और उधार ले सकता है। इससे वह 100 की जगह 200 शेयर खरीद सकता है।
अगर शेयर का भाव बढ़कर 120 रुपये हो जाता है, तो निवेशक के शेयरों की कीमत 24,000 रुपये हो जाएगी। 10,000 रुपये का कर्ज चुकाने के बाद, निवेशक के पास 14,000 रुपये बचेंगे। यह उसके शुरुआती 10,000 रुपये पर 40% का फायदा है, जबकि बिना मार्जिन के यह फायदा सिर्फ 20% होता।
लेकिन अगर शेयर का भाव गिरकर 80 रुपये हो जाता है, तो शेयरों की कीमत 16,000 रुपये रह जाएगी। कर्ज चुकाने के बाद, निवेशक के पास सिर्फ 6,000 रुपये बचेंगे। यह 40% का नुकसान है, जबकि बिना मार्जिन के यह नुकसान सिर्फ 20% होता।
मार्जिन ट्रेडिंग के फायदे
ज्यादा खरीदने की ताकत: मार्जिन ट्रेडिंग से निवेशक ज्यादा शेयर खरीद सकते हैं, जिससे अच्छे निवेश पर ज्यादा फायदा हो सकता है।
निवेश विविधता: ज्यादा पैसों से निवेशक अपना पैसा कई तरह के शेयरों में लगा सकते हैं।
शेयर गिरने पर भी कमाई: मार्जिन अकाउंट से निवेशक शेयर के भाव गिरने पर भी पैसे कमा सकते हैं।
पैसों का बेहतर इस्तेमाल: निवेशक मार्जिन को छोटे समय के कर्ज की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं, बिना अपने मौजूदा शेयर बेचे।
मार्जिन ट्रेडिंग के जोखिम और चुनौतियां
बड़ा नुकसान: जैसे मार्जिन से फायदा बढ़ सकता है, वैसे ही नुकसान भी बढ़ सकता है, जो शुरुआती निवेश से भी ज्यादा हो सकता है।
मार्जिन कॉल: अगर मार्जिन अकाउंट में शेयरों की कीमत बहुत गिर जाए, तो निवेशक को और पैसे या शेयर जमा करने पड़ सकते हैं।
ब्याज का बोझ: मार्जिन के कर्ज पर ब्याज लगता है, जो फायदे को कम या नुकसान को ज्यादा कर सकता है।
जबरन शेयर बेचना: अगर अकाउंट में पैसे बहुत कम हो जाएं, तो ब्रोकर निवेशक की मर्जी के बिना भी शेयर बेच सकता है।
बाजार में उतार-चढ़ाव: बाजार में तेज उतार-चढ़ाव से ज्यादा मार्जिन वाले निवेश में बड़ा नुकसान हो सकता है।
मार्जिन ट्रेडिंग के नियम
दुनिया भर में निवेशकों की सुरक्षा और बाजार की सही चाल-चलन के लिए मार्जिन ट्रेडिंग पर नियम बनाए गए हैं। उदाहरण के तौर पे, भारत को लेते हैं:
भारत में, सेबी (SEBI) मार्जिन ट्रेडिंग को नियंत्रित करता है। उनके कुछ मुख्य नियम हैं:
शुरुआती मार्जिन: आमतौर पर शेयर की कीमत का 50%।
रखरखाव मार्जिन: आमतौर पर शेयर की मौजूदा कीमत का 40%।
अस्थिर शेयरों की सूची (VSL): सेबी उन शेयरों की सूची रखता है जिनमें मार्जिन ट्रेडिंग हो सकती है। यह सूची समय-समय पर बदलती रहती है।
अधिकतम सीमा: ब्रोकर्स को मार्जिन के लिए कितना पैसा दे सकते हैं, इसकी भी सीमा है।
जानकारी देना जरूरी: ब्रोकर्स द्वारा निवेशक को मार्जिन की जरूरतों और जोखिमों के बारे में साफ जानकारी देना ज़रूरी होता है।
2020 में सेबी ने नए नियम लाए, जिसमें कैश और डेरिवेटिव्स दोनों में पहले से मार्जिन जमा करना जरूरी हो गया। इन नियमों का मकसद है ज्यादा कर्ज लेने पर रोक लगाना और भारतीय बाजारों में जोखिम को कम करना।
निवेशकों को मार्जिन ट्रेडिंग शुरू करने से पहले अपने देश के खास नियमों को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए, क्योंकि हर देश में नियम अलग-अलग हो सकते हैं।
सफल मार्जिन ट्रेडिंग के तरीके
जोखिम का प्रबंधन: सख्त जोखिम प्रबंधन करें, जैसे कि स्टॉप-लॉस ऑर्डर और सही मात्रा में निवेश।
निवेश को बांटना: हो सके तोह, मार्जिन से खरीदे गए सारे शेयर एक ही कंपनी या क्षेत्र के न हों।
अकाउंट पर नजर रखें: अपने मार्जिन अकाउंट को नियमित रूप से चेक करें ताकि यह रखरखाव की जरूरतों को पूरा करता रहे।
मार्जिन समझौते की शर्तें समझें: अपने मार्जिन समझौते की शर्तों को ध्यान से पढ़ें और समझें, जिसमें ब्याज दर और मार्जिन कॉल की प्रक्रिया शामिल होती है।
मार्जिन का सावधानी से इस्तेमाल: जोखिम कम रखने के लिए अपने कुल उपलब्ध मार्जिन का सिर्फ एक हिस्सा ही इस्तेमाल करें।
जानकारी रखें: बाजार की हालत और उन बातों के बारे में जानकारी रखें जो आपके मार्जिन वाले शेयरों को प्रभावित कर सकती हैं।
विभिन्न बाजारों में मार्जिन ट्रेडिंग
मार्जिन ट्रेडिंग सिर्फ शेयर बाजार में ही नहीं, बल्कि दूसरे वित्तीय बाजारों में भी होती है:
विदेशी करेंसी ट्रेडिंग: करेंसी ट्रेडर्स अक्सर कीमत में छोटे बदलाव से फायदा उठाने के लिए ज्यादा मार्जिन का इस्तेमाल करते हैं।
फ्यूचर्स ट्रेडिंग: फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट में शुरू से ही मार्जिन होता है, जिसमें कुल कीमत का सिर्फ एक छोटा हिस्सा ही शुरुआती मार्जिन के रूप में देना होता है।
ऑप्शन्स ट्रेडिंग: कुछ ब्रोकर्स ऑप्शन्स ट्रेडिंग में भी मार्जिन की सुविधा देते हैं, हालांकि इसके नियम ज्यादा सख्त हो सकते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग: कई क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज मार्जिन ट्रेडिंग की सुविधा देते हैं, जहां अक्सर पारंपरिक बाजारों से ज्यादा मार्जिन मिलता है।
मार्जिन ट्रेडिंग का मनोवैज्ञानिक पहलू
मार्जिन का इस्तेमाल निवेशक के मन पर बड़ा असर डाल सकता है:
अति आत्मविश्वास: बड़ी रकम के साथ काम करने की क्षमता से अति आत्मविश्वास आ सकता है और ज्यादा जोखिम लेने की इच्छा हो सकती है।
भावनात्मक ट्रेडिंग: ज्यादा फायदे या नुकसान से भावनाएं तीव्र हो सकती हैं, जिससे गलत फैसले हो सकते हैं।
अनुशासन: सफल मार्जिन ट्रेडिंग के लिए कड़े अनुशासन और पहले से तय की गई रणनीतियों का पालन करना जरूरी है।
ये भी पढ़ें :
डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है? | स्विंग ट्रेडिंग क्या है? |
ट्रेडर कौन है और एक सफल ट्रेडर कैसे बनें? | ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है? |
निष्कर्ष
मार्जिन ट्रेडिंग निवेशकों को अपने फायदे बढ़ाने और बाजार के मौकों का लाभ उठाने का एक शक्तिशाली तरीका देता है। लेकिन इसमें बड़े जोखिम और चुनौतियां भी हैं। फायदे और नुकसान दोनों को बढ़ा देने की क्षमता मार्जिन ट्रेडिंग को एक दोधारी तलवार बनाती है, जिसके लिए सावधानी, अच्छी समझ और अनुशासित तरीके से काम करना जरूरी है।
मार्जिन ट्रेडिंग शुरू करने से पहले, निवेशकों को अपनी जोखिम लेने की क्षमता, वित्तीय स्थिति और निवेश के उद्देश्यों का ईमानदारी से आकलन करना चाहिए। मार्जिन ट्रेडिंग की कार्यप्रणाली, नियमों और संभावित खतरों के बारे में जानना बहुत जरूरी है। इसके अलावा, एक मजबूत जोखिम प्रबंधन रणनीति बनाना और लंबे समय का नजरिया रखना भी जरूरी है। अंत में, अगर समझदारी से और अपनी पूरी निवेश रणनीति के अनुसार इस्तेमाल किया जाए, तो मार्जिन ट्रेडिंग निवेशक के लिए एक मूल्यवान उपकरण हो सकता है।
यह भी पढ़ें : सबसे अच्छा फॉरेक्स ट्रेडिंग समय क्या है?